हरियाणा की सिरसा लोकसभा में मोदी मैजिक, सैलजा को 3 दिन में पछाड़ा, य़े है मास्टरप्लान

 
 

Sirsa Loksabha Election: हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट पर अब बीजेपी ने मोर्चा संभाल लिया है। सबसे कमजोर मानी जाने वाली सीट पर बीजेपी ने महज तीन दिन में ही कांग्रेस की कुमारी सैलजा को पछाड़ दिया है और ग्राउंड पर मोदी मैजिक दिखा दिया है। वहीं इनेलो की इंट्री के बाद चुनावी समीकरण बदल गये हैं।

दरअसल पंजाब और राजस्थान की सीमा से सटी सिरसा लोकसभा सीट पर 2019 में बीजेपी की तरफ से सुनीता दुग्गल ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार पंजाबी और जाट बहुल इलाके में भाजपा को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा था। 

भाजपा ने यहां पर डॉ. अशोक तंवर, कांग्रेस ने कुमारी सैलजा, इनेलो ने संदीप लोट और जेजेपी ने रमेश खटक को प्रत्याशी बनाया है। इनके अलावा अलग अलग दलों और निर्दलीय के तौर पर 25 से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी दंगल में हैं।

सट्टा बाजार और राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस सीट पर भाजपा ने समय रहते ही उम्मीदवार उतार दिया था लेकिन अशोक तंवर का व्यक्तिगत विरोध देखने को मिला। यहां पर भाजपा के कोर वोटर भी तंवर की टिकट से नाराज दिखे। लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा के ये वोटर फिर से मोदी के नाम पर वोट डालने के लिए एक्टिव हो गए हैं।

दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से कुमारी सैलजा को आखिरी मौके पर उतारा गया। कुमारी सैलजा का चुनाव मैदान में उतरते ही जबरदस्त जोर पकड़ गया। माउथ पब्लिसिटी ने सैलजा के चुनाव को फुल पीक पर ले जाकर छोड़ दिया।

मीनू बैनीवाल की रैलियों ने बिगाड़ा समीकरण

ऐलनाबाद हलके में समाजसेवी और भाजपा नेता कप्तान मीनू बैनीवाल की रैलियों और कार्यक्रमों में जुटती भारी भीड़ ने सैलजा का चुनावी समीकरण बिगाड़ दिया है। ऐलनाबाद हलके में बड़ी लीड की चाहत रखने वाली कांग्रेस को इस हलके में सबसे बड़ी हार का भी सामना करना पड़ सकता है। मीनू बैनीवाल ने माधोसिघाना में बड़ी रैली करके अपनी लोकप्रियता का एहसास भी कांग्रेस को करा दिया है।

अब राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सैलजा का चुनाव इतनी जल्दी पीक पर जाने से नुकसान की स्थिति हो गई है। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के प्रचार से दूरी ने सैलजा की मुश्किलों के बढ़ा दिया है। सैलजा के प्रोग्रामों में भीड़ जुट रही है लेकिन वो सिर्फ सैलजा को देखने के लिए जुट रहे हैं जबकि वो वोट मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए करना चाहते हैं। 

क्या है 9 विधानसभा में स्थिति
सिरसा लोकसभा की 9 विधानसभा में बीजेपी ने 4 सीटों ऐलनाबाद, फतेहाबाद, टोहाना और डबवाली में अपनी पकड़ बना ली है जबकि 2 सीटों सिरसा और टोहाना में बीजेपी को अच्छी पकड़ के आसार हैं। जबकि तीन कमजोर सीटों कालांवाली, रतिया और रानियां में विशेष प्लान तैयार करके चुनावी मैदान में टीम उतरी है। 

सिरसा लोकसभा में दो बेल्ट हैं। एक बागड़ी तो दूसरी पंजाबी बेल्ट। पंजाबी बेल्ट में सैलजा का जोर ज्यादा है तो वहीं बागड़ी बेल्ट में भाजपा, इनेलो और कांग्रेस मुकाबले में हैं। चौटाला के गढ़ कहे जाने वाले डबवाली में मोदी नाम की चर्चा ज्यादा है।

शहर में कांग्रेस और भाजपा दोनों में मुकाबला दिख रहा है। तंवर के सामने सैलजा की मजबूत स्थिति को देखते हुए भाजपा ने एकदम से यहां चुनावी रणनीति को बदल दिया है। तंवर के बजाय मोदी फेस को आगे किया जा रहा है। भाजपा अपनी इस रणनीति में कामयाब भी होती दिख रही है। वहीं सैलजा के प्रचार से हुड्‌डा गुट नदारद दिखाई दे रहा है।

फतेहाबाद की बात करें तो सैलजा को चंद्रमोहन का साथ मिला है। हालांकि फतेहाबाद में कोई बड़ा नेता सैलजा के साथ नहीं है। वहीं भाजपा कैंडिडेट को राज्यसभा सांसद सुभाष बराला, रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा और फतेहाबाद में दुड़ाराम जैसे नेताओं का साथ मिला है।

सिरसा सीट में 5 जिलों की 9 विधनासभाएं
सिरसा लोकसभा में 2 जिले सिरसा और फतेहाबाद आते हैं। जिनमें 9 विधानसभाएं हैं। सिरसा, रानियां, ऐलनाबाद, कालांवाली, डबवाली, फतेहाबाद, रतिया, टोहाना और नरवाना शामिल है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 19,21,875 है। जिसमें पुरुष मतदाता 10,15,706 और महिला मतदाता 90,06,11 है।

ये है जातिगत समीकरण
सिरसा संसदीय सीट आरक्षित है। यहां अनुसूचित जाति के 8.13 लाख वोटर हैं। वहीं जाट समुदाय 3.58 लाख, जट्ट सिख 1.90 लाख, पंजाबी समुदाय (खत्री, अरोड़ा, मेहता) 1.15 लाख, बनिया 90 हजार, कंबोज 90 हजार, ब्राह्मण 61 हजार, बिश्रोई 48 हजार, पिछड़ा वर्ग (कुम्हार, सैनी, अहीर, गुज्जर, खाती, सुनार) 1.41 लाख, अन्य (मुस्लिम, क्रिश्चियन, जैन आदि) 18 हजार हैं।

सिरसा में डेरा वोट होता है निर्णायक
सिरसा लोकसभा चुनाव में डेरा वोट निर्णायक होता है। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा, डेरा जगमालवाली, डेरा भूमणशाह हैं। डेरा सच्चा सौदा का वोटर वहीं वोट करता है जहां डेरे की पॉलिटिकल विंग वोट करने का आदेश करती है। हालांकि अभी तक डेरे की ओर से समर्थकों के पास कोई संदेश नहीं आया है।