Parsley Ki Kheti : औषधीय पौधे पार्सले की खेती से किसानों की होगी बल्ले बल्ले, कम समय में कर सकेंगे लाखों का मुनाफा, यहां जानें इसे जुडी सभी डिटेल्स

 

Parsley Ki Kheti : भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के किसान मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। बता दें करीब 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है।

बहुत से किसान अलग अलग प्रकार की खेती करके लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। इस बीच आज ऐसी खेती के बारे में बताने जा रहे है जिसको करके आप भी अधिक मुनाफा कमा सकते है। वह पार्सले की खेती है।

बता दें यह काफी हद तक धनिया जैसे दिखती है। पार्सले औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसका इस्तेमाल सलाद, सब्जी, करी, सूप आदि बनाने में किया जाता है। इसलिए बाजार में इसकी अच्छी मांग है। यह एंटीऑक्सिडेंट, खनिज, विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन से भरपूर होता है। इसके कई फायदों के कारण इसकी बाजार में अच्छी मांग है।

बुवाई कब और कैसे करें?

इसके लिए पार्सले के बीजों को अक्टूबर माह में खेत की अच्छी तरह जुताई कर छिडकाव विधि से बोना चाहिए। प्रति एकड़ 4 किलो बीज की आवश्यकता होती है। हल्की बलुई दोमट मिट्टी में पार्सले की फसल अच्छी होती है। इसके बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर फिर खेत में बो दिया जाता है।

इसके अंकुरण में 4-6 सप्ताह का समय लगता है। मटर के बीज को राइजोबियम से उपचारित कर बोयें। बैंड प्लांटर से एक एकड़ में 35-40 किलो मक्खन के बीज बोयें। मटर की फसल में 3-4 सिंचाइयां दी जाती हैं। अच्छी फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश भी डालें।

फसल कितनी है?

मटर की फसल प्रति एकड़ 50-55 क्विंटल और अजवाइन की 7-8 क्विंटल होती है। अजवाइन 6-7 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।

फसल कब तैयार होती है?

हरी मटर की कटाई दिसंबर से फरवरी तक की जाती है, जबकि फरवरी में मटर की कटाई के बाद 15-20 दिनों में दो तुड़ाई की जाती है। इसके बाद अजवाइन में 23 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ डालें।

अच्छी फसल के लिए अजवाइन में फूल आने और दाना निकलने के समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। अप्रैल के अंत तक पार्सले की फसल तैयार हो जाएगी। इसकी कटाई हाथ से की जाती है।

वैसे तो पार्सले का इस्तेमाल आज भी गांव में खाने में ज्यादा नहीं होता है, लेकिन शहरों में इसकी काफी डिमांड है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल सूप, सलाद, सब्जियों की महक बढ़ाने और शादियों में सजावट के लिए भी किया जाता है। यही वजह है कि यह महंगा बिकता है। राजस्थान और हरियाणा के कई इलाकों के किसान इसकी खेती से मुनाफा कमा रहे हैं।