Most Expensive Indian Painting: अमृता शेरगिल की 'The Story Teller' बनी भारत की सबसे महंगी पेंटिंग, जानिए इस पेंटिंग में ऐसा क्या है खास?
Most Expensive Indian Painting: हाल ही में एक पेंटिंग की नीलामी ने भारतीय कला को हाई रिकॉर्ड स्थान पर पहुंचा दिया है। 20वीं सदी की प्रसिद्ध सिख-हंगेरियन कलाकार अमृता शेर-गिल की कैनवास कृति स्टोरी टेलर ऑयल ने ₹61.8 करोड़ की आश्चर्यजनक कमाई की, जिससे यह नीलाम होने वाली भारत की सबसे महंगी कलाकृति बन गई। आपको बता दें इससे पहले सबसे महंगी कलाकृति चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की जेस्टेशन थी, जो सिर्फ 10 दिन पहले ₹51.75 करोड़ में बेची गई थी।
पेंटिंग ने की 181 करोड़ रूपये से अधिक की कमाई
भारत में एकमात्र सफल महिला कलाकार के रूप में, शेर-गिल की पेंटिंग का चार्ट में शीर्ष पर आना शायद एक कलाकार के लिए सबकी बड़ी चीज़ है। यह पेंटिंग नई दिल्ली के ओबेरॉय में सैफ्रनआर्ट की नीलामी के समय बेची गई इस पेंटिंग ने कुल मिलाकर ₹181 करोड़ से अधिक की कमाई की है।
नीलामी घर के एक अधिकारी ने मिंट की तरफ से कहा, ''वह भारत के राष्ट्रीय कला खजानों में से एक हैं और इस प्रकार का काम बिक्री के लिए आना काफी दुर्लभ है।'' लगभग 84 बार नीलामी हुई, शेर-गिल का सबसे पुराना कला विलेज ग्रुप 1992 में बेचा गया और लेटेस्ट 'Untitled' 2023 में बेचा गया। आपको यह भी बता दें कि विलेज ग्रुप कलाकार के बेहतरीन कार्यों में से एक है जो महिलाओं के एक ग्रुप को चित्रित करता है।
क्या हैं इस पेंटिंग की खास बातें?
पेंटिंग में एक गांव को दिखाया गया है। जिसमें कुछ महिलाएं बैठी हैं, कुछ ज़मीन पर तो कुछ खाट पर। साथ ही इन महिलाओं के साथ गायें , एक बछ़डा , एक कुत्ता और दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा है।
कहानीकार एक विशिष्ट कलात्मक भाषा स्थापित करता है जो पहाड़ी और पेरिसियन दोनों प्रभावों को जोड़ती है। इसमें महिलाओं के एक समूह को खुली जगह पर आराम करते हुए दिखाया गया है, जबकि वे अपने स्वतंत्र कार्यों में व्यस्त हैं।
कौन हैं अमृता शेरगिल?
अमृता शेरगिल का जन्म 1913 में बुदापेस्ट में हुआ था। इनके पिता का नाम उमराव सिंह और मां हंगरी था और इनका पूरा नाम था एनटॉयनेट शेरगिल। यह सिर्फ 5 साल की थी जब इन्हे अपने हुनर का पता चला और इन्होने पेंटिंग्स बनाना शुरू कर दिया। पेंटिंग्स की तरफ़ उनके झुकाव को देखते हुए 16 साल की उम्र में उनके माता-पिता उन्हें पेरिस लेकर चले गए।
वहां उन्होंने अपने 5 साल व्यतीत किये। 17 साल की उम्र में उन्होंने खुद का एक पोट्रेट बनाया। 1932 में उनकी पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ को ग्रैंड सेलोन का स्वर्ण पदक मिला था।
अमृता का जीवन सिर्फ 28 साल का रहा। लेकिन इतने कम समय में उन्होंने दुनियाभर में अपना नाम कर लिया था। अमृता के काम को भारत में राष्ट्रीय खज़ाने की संज्ञा दी गई है। इसका मतलब उनकी पेंटिंग्स को भारत से बाहर ले जाना गैर कानूनी है।