अगले महीने से बढ़ सकती है ब्रेड, बिस्किट और आटे की कीमत, सरकार ने अभी तक गेंहू बेचने का नहीं किया है ऐलान

ब्रेड, बिस्किट और आटे की कीमतों में बढ़ोतरी का असर जून से देखने को मिल सकता है, जब पारंपरिक रूप से इनकी मांग बढ़ जाती है

 

अगले महीने से ब्रेड, बिस्किट, रोटी और परांठे की कीमतें बढ़ सकती है। दरअसल सरकार ने इस साल अभी तक गेहूं के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) का ऐलान नहीं किया है। आटा, ब्रेड और बिस्किट बनाने वाली कंपनियों को डर है कि अगर OMSS के जरिए गेहूं की बिक्री नहीं होती है तो, इससे बाजार में कीमतें काफी तेजी से बढ़ सकती है और गेहूं का सीजन नहीं होने के चलते इसकी किल्लत भी देखने को मिल सकती है। OMSS स्कीम के जरिए सरकार खुले बाजार में अनाज की सप्लाई और कीमतों को नियंत्रित करती है। कीमतों में बढ़ोतरी का असर जून से देखने को मिल सकता है, जब स्कूल-कॉलेजों के खुलने और मॉनसून सीजन के आगमन के चलते पारंपरिक रूप से इन वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, FCI समय-समय पर OMSS स्कीम के जरिए गेहूं बेचती है, ताकि बाजार में इस अनाज की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। यह बिक्री खासतौर से उस सीजन में की जाती है, जब बाजार में गेहूं की आवक कम हो जाती है। इससे खुले बाजार में गेहूं की किल्लत नहीं होती है और इसकी कीमत नियंत्रित रहती है।


बाजार में गेहूं कि स्थिति के आधार पर, कंपनियों की FCI से गेहूं की सालाना खरीद कुछ कुंतल से लेकर 70-80 लाख टन तक हो सकती है। भारत में पिछले तीन साल से गेहूं का सरप्लस उत्पादन हो रहा है, ऐसे में FCI अपने पास पड़े अतिरिक्त गेहूं को निकालने के लिए डिस्काउंट और माल ढुलाई पर कुछ छूट भी देती है।

घरेलू व्हीट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री ने 2021-22 में सरकार से 70 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। इस साल अगर सरकार OMSS नीति को जारी नहीं रखने का फैसला करती है, तो इंडस्ट्री का अपनी जरूरत का पूरा 100 फीसदी गेंहू खुले बाजार से खरीदना होगा।

अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने एक पुराने मिलर के हवाले से बताया, "सरकार ने इस साल हमें FCI पर निर्भर नहीं रहने को कहा है क्योंकि इस साल वे निजी व्यापारियों को गेहूं बेचने को लेकर पक्का नहीं हैं।" आटा मिलिंग इंडस्ट्री ने हाल ही में फूड मिनिस्ट्री को एक लेटर लिखकर इस आगामी संकट के बारे में चेतावनी दी। लेटर में कहा गया है, "यह साफ है कि सरकार के पास साल की दूसरी छमाही में OMSS के जरिए बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए शायद ही कोई गेहूं बचेगा। राज्य सरकारों को उनकी अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए गेहूं की सप्लाई भी रोक दी गई है, जो आने वाले संकट को दिखाता है।"

लेटर में आगे कहा गया है, "इंडस्ट्री को आशंका है कि वह भविष्य में वाजिब दाम पर आटे की सप्लाई करने में सक्षम नहीं रहेगी। इसके चलते मिलिंग इंडस्ट्री और ब्रेड-बिस्किट इंडस्ट्री के लिए अनिश्चित स्थिति हो सकती है।" मुंबई के आटा मिलर और एक्सपोर्ट अजय गोयल ने इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा, "OMSS खुले बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास उपलब्ध इकलौता तरीका है। इसका इस्तेमाल कर सरकार बाजार में हस्तक्षेप करती है।