हरियाणा में नौकरियों में आरक्षण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सुनवाई में सरकार ने लगाई ये गुहार

हरियाणा में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अपना लिया है।
 

हरियाणा में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अपना लिया है। इस मामले में अब हरियाणा सरका रकी भर्तियों को हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसपर आज सुनवाई हुई। 

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से नौकरियों में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चार अलग अलग याचिकाएं दाखिल की गई है जिसपर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसबीएन भट्टी ने सुनवाई की।


हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी जाए। दो अन्य याचिकाएं भी शामिल की गई हैं, लेकिन वह आज की सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं हो पाई है। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करके सोमवार के लिए डेट तय कर दी।

सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर जारी विस्तृत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है। जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने आरक्षण का लाभ दिया है तो क्यों यह आर्टिफिशियल श्रेणी बनाई जा रही है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि यह फायदा देने से पहले न तो कोई डाटा एकत्रित किया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया। इस प्रकार, पहले सीईटी में 5 अंकों का और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंकों का लाभ तो भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल देगा। इन अंकों का फायदा देते हुए केवल पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है जो संविधान के अनुसार सही नहीं है।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से ग्रुप सी और ग्रुप डी भर्ती के लिए कुल 401 श्रेणियों की भर्ती निकाली गई थी। समान प्रकार की भर्तियों को क्लब करते हुए आयोग ने इन श्रेणियों के कुल 63 ग्रुप बनाए थे। ग्रुप सी के 32 हजार पद, इसी श्रेणी में टीजीटी के 7471 पद शामिल हैं। इनके अलावा, ग्रुप डी के 13 हजार से अधिक पद हैं।

इनमें से ग्रुप सी के 10 हजार और ग्रुप डी के 13 हजार पदों पर अंतिम परिणाम जारी करने के बाद इनको नियुक्ति भी दी जा चुकी है।