कोरोना ने छीने नवजात बच्ची से मां-बाप, मासूम भाई-बहन की अब दादी और चाची-मौसी कर रहे देखभाल

Chaupal TV, Rohtak कोरोना महामारी के कारण बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है। कोरोना की दोनों लहरों में कोरोना का क्रूरतम रूप पूरी दुनिया ने देखा है। ऐसे ही कोरोना कहर बनकर टूटा हरियाणा के जिला रोहतक के इस परिवार पर। दरअसल एक बच्ची के प्रीमेच्योर पैदा होने...
 

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कोरोना महामारी के कारण बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है। कोरोना की दोनों लहरों में कोरोना का क्रूरतम रूप पूरी दुनिया ने देखा है। ऐसे ही कोरोना कहर बनकर टूटा हरियाणा के जिला रोहतक के इस परिवार पर। दरअसल एक बच्ची के प्रीमेच्योर पैदा होने के महज 6 दिन बाद कोरोना के कारण पिता की मौत हो गई, वहीं जन्म देने वाली मां भी जन्म के 14 दिन बाद चल बसी।

परिवार में दादी, चाची और मौसी अब इस नन्ही सी जान और इसके 7 साल के भाई का पालन-पोषण कर रहे हैं। रोहतक के नजदीक बोहर गांव के नरेंद्र का परिवार खुशी-खुशी गुजर बसर कर रहा था। लेकिन कोरोना ने इन मासूमों के मां-बाप को छीन लिया। दादी के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा हो गई हैं, चाची और मौसी इनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

जानकारी के अनुसार पिता नरेंद्र डीजे का काम करता था और उनकी पत्नी ममता रोहतक में ब्यूटी पार्लर चलाती थी। ममता 7 माह की गर्भवती थी कि अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया तो उसने 2 मई को एक प्रीमेच्योर बेबी को जन्म दिया। बच्ची कमजोर थी, इसलिए उसे अस्पताल  वार्ड में रखा गया।

ममता का कोविड टेस्ट हुआ तो 4 मई को उसकी रिपोर्ट आई, जिसमें वह पॉजिटिव मिली। कोरोना के कारण  नरेंद्र की भी तबीयत बिगड़ गई, जिसकी 8 मई को मौत हो गई। दूसरी तरफ ममता की किस्मत में भी अपने बच्चों को ममता देना नहीं लिखा था। वह भी 16 मई को इस दुनिया को अलविदा कह गई।

दोनों भाई-बहन अब अनाथ हो चुके हैं, हालांकि उनकी दादी सुमित्रा, चाची अनु और मौसी सरिता देखभाल कर रही हैं। पर उन्हें भी इनके भविष्य की चिंता सता रही है। उनका कहना है कि परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया इतने छोटे-छोटे बच्चों को पालना बेहद मुश्किल काम है। वो चाहते हैं कि किसी भी तरह बच्चों के पालन पोषण में कमी भी नहीं आएगी और मां-बाप की भी कमी महसूस नहीं होने देंगे, लेकिन मां-बाप तो मां-बाप ही होते हैं।