OPS Rally Jind: हरियाणा में पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों ने भरी हुंकार, जींद महारैली में किया ये बड़ा ऐलान
हरियाणा में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिसके चलते आज जींद के एकलव्य स्टेडियम में पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के बैनर तले प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर धारीवाल के नेतृत्व में में पेंशन संकल्प महारैली हुई।
इस महारैली में प्रदेश के सभी विभागों के लाखों कर्मचारियों ने पहुंचकर पेंशन बहाली की आवाज को बुलंद किया।
पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर धारीवाल ने बताया कि इससे पहले भी कर्मचारी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार धरने प्रदर्शन, भूख हड़ताल विरोध प्रदर्शन आदि कर चुके है।
बीते वर्ष भी 19 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास के घेराव में पंचकूला पहुंचे थे तब मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता में 20 फरवरी को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।
उसके बाद 3 मार्च 2023 को कमेटी के साथ हुई वार्ता में संघर्ष समिति ने समस्त आंकड़े कमेटी के सम्मुख पेश किए जिसमे कमेटी ने तथ्यों को सही माना और जल्द ही आगामी मीटिंग का आश्वासन दिया था परंतु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कमेटी की तरफ से अगली वार्ता की कोई सूचना पेंशन बहाली संघर्ष समिति को नही मिली जिससे हरियाणा प्रदेश के सभी विभागों व कर्मचारियों में बहुत गहरा रोष है।
धारीवाल ने कहा कि सरकार दमनकारी और तानाशाही नीति अपनाकर कर्मचारियों को उनके संवैधानिक हक से वंचित रख रही है। हरियाणा का कर्मचारी ये शोषण कभी सहन नहीं करेगा और अपने हक के लिए वोट की चोट के लिए भी तैयार है।
जींद में कर्मचारियों की ललकार, पेंशन बहाल न होने पर करेंगे सत्ता का पलटवार
एकलव्य स्टेडियम में लाखों की संख्या में पहुंचे कर्मचारियों ने हुंकार भरी कि सत्ता जब जब कर्मचारियों के हकों पर ढाका डालती है और कर्मचारियों से टकराने का काम करती है तब तब सत्तादल को सत्ता को गंवानी पड़ी है।
धारीवाल ने कहा कि पेंशन बहाली संघर्ष समिति की प्रदेश भर 5200 से अधिक गाँवों में और शहरों में वार्ड स्तर पर कमेटियां गठित कर दी है जो हर घर जाकर NPS नामक शोषणकारी और सरकारी खजाने को लूटाने वाली नीति से अवगत कराएंगे।
जन-जन में पेंशन बहाली संघर्ष समिति ये बताना का काम करेगी कि एक लोककल्याणकारी राज्य में सरकार का दायित्व बनता है कि नीतियां लोगों के कल्याण के लिए बनाई जाती है लेकिन लोगों को अंधेरे में रखकर पूंजीपतियों के व्यापार को बढाने के लिए NPS जैसी नीति बनाई जाती है जिसके माध्यम से कर्मचारियों के वेतन का दस प्रतिशत और आमजन के खून पसीने की कमाई के टैक्स से भरने वाले सरकारी खजाने से 14% राशि शेयर बाजार में निवेश के नाम पर लूटाया जा रहा है।
धारीवाल ने कहा कि कर्मचारियों व प्रदेश का आमजन पूंजीपतियों के घर भरने वाली ऐसी नीतियां कभी स्वीकार नहीं करेगी। पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य महासचिव ऋषि नैन ने कहा कि पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा सरकार से बारम्बार गुहार लगा चुकी है कि कर्मचारियों का शोषण करने वाली और कर्मचारियों के नाम पर सरकारी खजाने से पैसा निकालकर पूंजीपतियों को लूटाने वाली नैशनल पेंशन व्यवस्था (NPS) बंद करके सरकारी सेवा में काम करने वाले गरीब मजदूर, किसान व दुकानदार के बेटे और बेटियों को के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था ही लागू करे जो उनका संवैधानिक हक है।
कर्मचारियों की पेंशन नहीं, नेताओं की पेंशन है सरकारी खजाने पर बोझ: धारीवाल
प्रदेशाध्यक्ष धारीवाल ने कहा कि सत्तासीन लोग खुद कई कई पेंशन लेते है जबकि कर्मचारियों की पेंशन को सरकारी खजाने पर बोझ बताते हैं जबकि आंकड़े इसके विपरीत है।
साल 2018-19 के सरकारी आंकड़े के अनुसार सैंकड़ों की संख्या में पूर्व विधायकों की पेंशन पर सालाना 213 करोड़ रुपये खर्च किए गये वहीं सेवाकाल के दौरान या रिटायर होने के बाद मृत कर्मचारियों के लगभग एक लाख आश्रित परिवारों को मिलने वाली फैमिली पेंशन पर सालाना 661 करोड़ रुपये खर्च हुए।
साल 2019-20 में पूर्व विधायकों के लिए पेंशन की राशि 33% बढकर 284 करोड़ हो गई। सत्तासीन लोगों के द्वारा नेताओं की पेंशन बोझ न लगकर विकास और सम्मान दिखती है लेकिन कर्मचारियों की पेंशन बोझ लगती है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति आमजन को सच्चे आंकड़ों से अवगत कराएगी।