मिनी क्यूबा और छोटी काशी के रूप में पहचान रखने वाला भिवानी है हरियाणा का प्राचीन शहर

 

हरियाणा के भिवानी जिला को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राचीन शहर है। मुक्केबाजों की राजधानी के चलते इसे मिनी क्यूबा के नाम से जाना जाता है, तो इसे युद्धनायकों की नगरी भी कहा जाता है। 1957 में भिवानी के गांव रोहनात में हुई क्रांति आज प्रेरित करती है। 22 दिसम्बर 1972 को भिवानी जिला में अस्तित्व में आया। करीब 3432 वर्ग किलोमीटर में फैला भिवानी जिला की सीमा हिसार, रोहतक, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ के साथ लगती है।





भिवानी में भिवानी के अलावा सिवानी और तोशाम उपमंडल हैं। लोहारु व बवानीखेड़ा तहसील हैं। भिवानी जिला के इतिहास की बात करें तो इसे ठाकुर नीम सिह तंवर ने बसाया। उन्होंने अपने पत्नी के नाम पर इस शहर को बसाया। हरियाणा में सबसे अधिक मरुस्थल का विस्तार भिवानी जिला में है। दुल्हेड़ी की पहाड़ी, तोशाम प्रमुख खजिन इलाके हैं। खेती के नजरिए से प्रदेश में सबसे अधिक सरसों और जौं का उत्पादन भिवानी में होता है।





हरियाणा में साल 1937 में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना भिवानी में ही लगाया गया। इसके अलावा भिवानी में भेड़ों की संख्या सबसे अधिक है। लोहरु के गांव बरालू में ऊंटों का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता आंदोलन में भिवानी का योगदान अहम रहा। यहां के गांव रोहनात में 1857 की क्रांति में अंग्रेजों ने सैकड़ों लोगों को कुएं में दफना दिया दिया था। 1919 में पंडित नेकीराम शर्मा ने भिवानी में कांग्रेस की स्थापना की।





1920 में यहां पर कांफ्रैंस का आयोजन हुआ, जिसमें महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु सहित कई लोगों ने शिरकत की। जनसंख्या और क्षेत्रफल के नजरिए से भिवानी प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। भिवानी से चार नैशनल हाइवे निकलते हैं। नैशनल हाईवे-9, एनएच-52, एनएच-709 और एनएच-334। इतिहास के नजरिए से भी भिवानी का बड़ा महत्व है। भिवानी के मिताथल गांव में 1968 से 1973 और 1980 से 1986 के बीच हुई खुदाई में पूर्व हड़प्पाण और हड़प्पा संस्कृति का सबूत पाया गया।

भिवानी शहर के लगभग 10 किलोमीटर पूर्व में नौरंगाबाद के गांव के पास 2001 में प्रारंभिक खुदाई में करीब 2500 वर्ष पुराने सिक्के, उपकरण, चक्कर, खिलौने, मूर्तियों और बर्तन मिले थे। आइएन ए अकबरी में भी इस शहर का जिक्र मिलता है। ऐसा माना जाता है मुगल शासन के समय भिवानी वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र रहा है। भिवानी शहर के नाम की बात करें तो माना जाता है। नीम ङ्क्षसह राजपूत ने अपनी पत्नी भनी के नाम पर इस शहर का नाम भानी रखा। बाद में भानी नाम बदलकर भियानी और फिर भिवानी में बदल गया।




राजनीतिक रूप से भी भिवानी जिला पहचान रखता है। इस जिले चौधरी बंसीलाल हुए। भिवानी जिला के गांव गोलागढ़ के बंसीलाल चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री, एक बार केंद्रीय मंत्री और कई बार विधायक व सांसद चुने गए। भिवानी से दो अन्य नेता हुए जो मुख्यमंत्री बने। ये थे बनारसी दास गुप्ता और मास्टर हुकूम ङ्क्षसह। शिक्षा के मामले में भिवानी बहुत उन्नत शहर है। यहां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय है तो करीब दस प्रौद्योगिकी संस्थान हैं। परिवहन के लिहाज से भी यह विकसित शहर कहा जा सकता है।

भिवानी से मुख्यत: पांच तरफ सड़कें निकलती हैं, हिसार, तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी और रोहतक। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए लगभग हर समय सड़क और रेल यातायात उपलब्ध है।





भिवानी एक बड़ा रेल-जंक्शन है और यहां से तीन दिशाओं में रेलवे लाइन निकलती हैं। एक रेलवे लाइन उत्तर की ओर जाती हुई पंजाब चली जाती है। यहां किसी समय पर एक हवाई अड्डा भी बनाया गया था जो आज कल बंद है। भिवानी का सामान्य पहनावा पुरुषों में कुर्ता-पजामा, धोती, पैंट-शर्ट, तथा सर पर खंडूवा है। स्त्रियां कमीज़, दामन, सूट, सलवार, तथा कुर्ती पहनती हैं। विवाह के अवसर पर सामान्यत: बड़े बुजुर्ग पारंपरिक पहनावे में आते हैं।


भिवानी को मंदिरों का नगर और भारत की छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां मंदिरों की अधिकता बहुत ज्यादा है। इनमें से शहर के बीचो-बीच स्थापित घंटाघर का मंदिर और नज़दीक के गांव देवसर का मंदिर बहुत प्रसिद्द हैं। वहीं तोशाम में मुंगीपा धार्मिक स्थल है। इसकी काफी मान्यता है। स्व. कप्तान हवा सिंह की याद में बनाया गया बोक्सिंग ट्रेनिंग सेंटर देश को अच्छे खिलाडी प्रदान कर रहा है। भिवानी का बहु-उद्देश्यीय खेल परिसर भीम स्टेडियम भी प्रसिद्ध है। बॉक्सर खिलाड़यिों की अधिकता की वजह से भिवानी को छोटा क्यूबा भी कहा जाता है।