हरियाणा में इस अफसर ने बदल दी बिजली महकमे की तस्वीर, सस्ती बिजली और देश में सुव्यवस्था में दूसरे स्थान पर किया काबिज

 

हरियाणा में बिजली कंपनियों की जहां बल्ले बल्ले हो रही है वहीं बिजली सुधारों में भी हरियाणा ने जबरदस्त दमखम दिखाया है। प्रदेश अब देश में दूसरे स्थान पर कब्जा जमा चुका है। पहले स्थान पर दिल्ली है।

एक वक्त था जब प्रदेश में बिजली व्यवस्था का बुरा हाल था। प्रदेश की पावर कंपनियां भी घाटे का रोना रो रही थी। लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। सभी पावर कंपनियां मुनाफे में चल रही है।

दिल्ली में जहां बिजली वितरण निजी हाथों में है, वहीं प्रदेश में यह काम सरकारी कंपनियों के हवाले है। खास बात यह कि प्रदेश उन आठ राज्यों में शुमार हो गया है, जहां की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) मुनाफे में हैं।

नीति आयोग ने प्रदर्शन में सुधार का श्रेय हरियाणा सरकार की मजबूत व ठोस नीतियों के साथ ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक शत्रुजीत कपूर को दिया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का उन्हें सुधार की नीतियां लागू करने में पूरा सहयोग मिला है। नतीजा यह रहा कि बिजली निगम घाटे से उबरने में सफल रहे। आंतरिक सुधारों पर फोकस और कर्मचारियों की कार्यक्षमता में सुधार से यह संभव हुआ।

27 फीसद था जो 2018-19 में घटकर 18.1 फीसद पहुंच गया। इसी तरह सर्विस की औसत लागत (एसीएस) और औसत राजस्व प्राप्ति (एआरआर) का अंतर वर्ष 2012-13 में 0.94 की तुलना में वर्ष 2018-19 में माइनस 0.05 रह गया। वर्ष 2012-13 में बिजली वितरण कंपनियां जहां 23 हजार 358 करोड़ रुपये के घाटे में थी, वहीं 2018-19 में यह 281 करोड़ रुपये के मुनाफे में पहुंच गईं।

बिजली सुधारों में उदय योजना काफी कारगर रही जिसके तहत बिजली निगमों का करीब 26 हजार करोड़ रुपये का घाटा प्रदेश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। यह साहस मुख्यमंत्री मनोहर लाल और तत्कालीन वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कर दिखाया है। इससे बिजली कंपनियों पर ब्याज के बोझ में कमी आई है।

बेहतरीन टैरिफ पालिसी, प्रबंधन और परिचालन उपाय, प्रदर्शन आधारित स्थानांतरण नीति, सीएमडी के नियमित दौरे और फील्ड स्टाफ के साथ निरंतर वार्ता, रिवार्ड नीति, सतर्कता कार्य के लिए पुरस्कार योजना, बिजली चोरों पर शिकंजा कसते हुए जुर्माना वसूली जैसे कदमों से स्थिति में तेजी से सुधार आया है।


बिजली वितरण निगम घाटे से निकल ऐसे आए मुनाफे में

वर्ष - स्थिति

2009-10 - 1,592 करोड़ रुपये का घाटा
2010-11 - 1,084 करोड़ रुपये का घाटा
2011-12 - 13,203 करोड़ रुपये का घाटा
2012-13 - 3,649 करोड़ रुपये का घाटा
2013-14 - 3,554 करोड़ रुपये का घाटा
2014-15 - 2,117 करोड़ रुपये का घाटा
2015-16 - 808 करोड़ रुपये का घाटा
2016-17 - 193 करोड़ रुपये का घाटा
2017-18 - 412 करोड़ रुपये का मुनाफा
2018-19 - 281 करोड़ रुपये का मुनाफा

लाइन लास 15 फीसद और हर गांव में 24 घंटे बिजली का लक्ष्य
बिजली संप्रेषण व्यवस्था में सुधार तथा बिजली चोरी पर अंकुश लगाकर प्रदेश सरकार वर्तमान में लाइन लास को 17 फीसद पर ले आई है। साल के अंत तक इसे 15 फीसद पर लाने का लक्ष्य है। वर्तमान में प्रदेश के बिजली निगम करीब 500 करोड़ रुपये के फायदे में हैं।

हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत चौटाला व अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि करीब 5300 गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाने लगी है। अगले साल तक सभी गांवों को 24 घंटे बिजली देने की योजना है।

इसके लिए अधिकारियों को गांव दर गांव भेजकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा बिलों का भुगतान करने तथा बिजली की चोरी रोकने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रदेश के 76 फीसद गांवों और दस संपूर्ण जिलों पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सिरसा, रेवाड़ी और फतेहाबाद में 24 घंटे बिजली दी जा रही है।