Haryana Weather: हरियाणा के किसान बारिश में ऐसे रखें फसलों का ख्याल, IMD ने दी सलाह

हरियाणा में बारिश का दौर जारी है। इस बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी कर दी है। IMD ने यह एडवाइजरी कपास, चावल, गन्ना, आम और सब्जी को लेकर दी है।
 

हरियाणा में बारिश का दौर जारी है। इस बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी कर दी है। IMD ने यह एडवाइजरी कपास, चावल, गन्ना, आम और सब्जी को लेकर दी है। IMD ने कहा कि अगर बारिश होने का पूर्वानुमान है तो किसान सिंचाई, बुवाई के काम और रासायनिक खादों का इस्तेमाल बंद कर दे।

 किसानों को फूल और फल बनने के स्टेज में ध्यान रखें की फसल में पानी की कमी न हो। खेत में उचित जल निकासी का प्रबंध रखें और बारिश के बाद खेत में लगे अनावश्यक पानी को हटा दें। क्योंकि ज्यादा पानी भी फसलों के लिए नुकसानदायक है।

IMD ने कहा कि किसानों को कपास के खेतों में सफेद मक्खी से बचाव के लिए मेड़ों, बंजर भूमि, सड़क किनारे और सिंचाई चैनलों/नहरों पर उगने वाल कंघी बूटी, पीली बूटी, पुठ कंदा आदि खरपतवार खेत से हटा दें।

सफेद मक्खी कपास के अलावा बैंगन, आलू, टमाटर, भिंडी, मूंग, मैश और ग्वार की फसोंल पर अटैक करती है। इन फसलों पर सफेद मक्खी के समय प्रबंधन के लिए रोजाना निगरानी की जानी चाहिए।

कपास
किसानों को मौसम को देखते हुए खरपतवार प्रबंधन करना चाहिए। फसल की 2 या 3 बारि निराई करें। पहली निराई सिंचाई से पहले करनी चाहिए। निराई के लिए ट्रैक्टर माउंटेड कल्टीवेटर /ट्रैक्टर से चलने वाले रोटरी वीडर/त्रिफली या व्हील हैंड का इस्तेमाल करें।

गुलाबी सुंडी के हमले से बचने के लिए कम से कम 10 माइक्रो लीटर गॉसीप्लर के साथ स्टिका/डेल्टा ट्रैप का इस्तेमाल करें और इसे फसल या पौधे की ऊंचाई से 15 सेमी ऊपर रखें।

15 दिनों के बाद ट्रैप को बदल दें और 1 ट्रैप/हेक्टेयर का इस्तेमाल करें। समय-समय पर लीफ कर्ल वायरल से इनफेक्टिड पौधे के उखाड़कर नष्ट कर दें।

धान
IMD ने कहा है,धान के खेतों में जड़-गांठ निमेटोड की रोकथाम के लिए, बुवाई से 10 दिन पहले खेत में अंतिम जुताई के समय प्रति वर्ग मीटर 40 ग्राम सरसों के बीज डालें। धान के बीज जनित रोगों की रोकथाम के लिए, नर्सरी लगाने से पहले बीज को 3 ग्राम स्प्रिंट प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें (8-10 मिली पानी में 3 ग्राम स्प्रिंट घोलें)।

प्रति एकड़ 12-15 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और खरपतवारों के उगने के लिए खेत की सिंचाई करें। बाद में अंकुरित खरपतवारों को मारने के लिए लगभग एक सप्ताह बाद खेत की दो बार जुताई करें।

गन्ना
यदि बारिश का पूर्वानुमान है तो फसल में सिंचाई, कृषि संबंधी काम और रासायनिक खाद का प्रयोग रोक दें। अगर पहले नहीं किया जा सका तो गन्ने की फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम करना चाहिए। यदि गन्ने के खेत में पानी भर जाता है तो खेत में उचित जल निकासी बनाए रखें और बारिश के तुरंत बाद रुके हुए पानी को हटा दें।

 दीमकों के नियंत्रण के लिए, मिट्टी से ढकने से पहले क्यारियों में बीज के ऊपर 400 लीटर पानी के साथ 200 मिली कोरजेन 18.5 एससी (क्लोरएंट्रानिलिप्रोएल) डालें।

बोरर्स को नियंत्रित करने के लिए 10 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ ट्राइकोग्रामा चिलोनिस से तैयार किए गए कोरसीरा सेफेलोनिका के 20,000 अंडे वाले ट्राइको-कार्ड का उपयोग करें।

हरियाणा में बारिश का दौर जारी है। इस बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी कर दी है। IMD ने यह एडवाइजरी कपास, चावल, गन्ना, आम और सब्जी को लेकर दी है।

IMD ने कहा कि अगर बारिश होने का पूर्वानुमान है तो किसान सिंचाई, बुवाई के काम और रासायनिक खादों का इस्तेमाल बंद कर दे।

 किसानों को फूल और फल बनने के स्टेज में ध्यान रखें की फसल में पानी की कमी न हो। खेत में उचित जल निकासी का प्रबंध रखें और बारिश के बाद खेत में लगे अनावश्यक पानी को हटा दें। क्योंकि ज्यादा पानी भी फसलों के लिए नुकसानदायक है।

IMD ने कहा कि किसानों को कपास के खेतों में सफेद मक्खी से बचाव के लिए मेड़ों, बंजर भूमि, सड़क किनारे और सिंचाई चैनलों/नहरों पर उगने वाल कंघी बूटी, पीली बूटी, पुठ कंदा आदि खरपतवार खेत से हटा दें।

सफेद मक्खी कपास के अलावा बैंगन, आलू, टमाटर, भिंडी, मूंग, मैश और ग्वार की फसोंल पर अटैक करती है। इन फसलों पर सफेद मक्खी के समय प्रबंधन के लिए रोजाना निगरानी की जानी चाहिए।

कपास
किसानों को मौसम को देखते हुए खरपतवार प्रबंधन करना चाहिए। फसल की 2 या 3 बारि निराई करें। पहली निराई सिंचाई से पहले करनी चाहिए। निराई के लिए ट्रैक्टर माउंटेड कल्टीवेटर /ट्रैक्टर से चलने वाले रोटरी वीडर/त्रिफली या व्हील हैंड का इस्तेमाल करें।

गुलाबी सुंडी के हमले से बचने के लिए कम से कम 10 माइक्रो लीटर गॉसीप्लर के साथ स्टिका/डेल्टा ट्रैप का इस्तेमाल करें और इसे फसल या पौधे की ऊंचाई से 15 सेमी ऊपर रखें। 15 दिनों के बाद ट्रैप को बदल दें और 1 ट्रैप/हेक्टेयर का इस्तेमाल करें। समय-समय पर लीफ कर्ल वायरल से इनफेक्टिड पौधे के उखाड़कर नष्ट कर दें।

धान
IMD ने कहा है,धान के खेतों में जड़-गांठ निमेटोड की रोकथाम के लिए, बुवाई से 10 दिन पहले खेत में अंतिम जुताई के समय प्रति वर्ग मीटर 40 ग्राम सरसों के बीज डालें। धान के बीज जनित रोगों की रोकथाम के लिए, नर्सरी लगाने से पहले बीज को 3 ग्राम स्प्रिंट प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें (8-10 मिली पानी में 3 ग्राम स्प्रिंट घोलें)। प्रति एकड़ 12-15 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और खरपतवारों के उगने के लिए खेत की सिंचाई करें। बाद में अंकुरित खरपतवारों को मारने के लिए लगभग एक सप्ताह बाद खेत की दो बार जुताई करें।

गन्ना
यदि बारिश का पूर्वानुमान है तो फसल में सिंचाई, कृषि संबंधी काम और रासायनिक खाद का प्रयोग रोक दें। अगर पहले नहीं किया जा सका तो गन्ने की फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम करना चाहिए। यदि गन्ने के खेत में पानी भर जाता है तो खेत में उचित जल निकासी बनाए रखें और बारिश के तुरंत बाद रुके हुए पानी को हटा दें।

 दीमकों के नियंत्रण के लिए, मिट्टी से ढकने से पहले क्यारियों में बीज के ऊपर 400 लीटर पानी के साथ 200 मिली कोरजेन 18.5 एससी (क्लोरएंट्रानिलिप्रोएल) डालें। बोरर्स को नियंत्रित करने के लिए 10 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ ट्राइकोग्रामा चिलोनिस से तैयार किए गए कोरसीरा सेफेलोनिका के 20,000 अंडे वाले ट्राइको-कार्ड का उपयोग करें।