Haryana Save Sparrows: हरियाणा में पक्षी प्रेमी संस्था ने बनाया गौरेया ऐनक्लेव, दूर-दूर से देखने आते हैं लोग 

 

Haryana Save Sparrows: हरियाणा में गौरैया (चिड़िया) गांव के घरों में खूब देखने को मिलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। शहरीकरण की वजह से गौरैया विलुप्त हो गई।
लेकिन कुछ लोग आज भी समाज में ऐसे हैं जो इन चिड़ियों के संरक्षण में लगे हुए हैं। 

करनाल के श्यामनगर में पक्षी प्रेमी संस्था द्वारा गौरैया ऐनक्लेव बनाया हुआ है, जो इन गौरैया के संरक्षण के लिए काम कर रही है। 

इस संस्था द्वारा श्याम नगर में करीब एक हजार से ज्यादा चिड़ियों के लिए घर बनाए हुए हैं। 

जहां पर आज गौरैया की ची-ची की आवाज सुनाई देती है। गायब हो रही गौरेया की बड़ी संख्या को देखकर लोगों ने इस निवास स्थान को गौरेया ऐनक्लेव का नाम दे दिया। 

पिछले 1 साल में यहां पर 3 चिड़ियां थी, अब यहां पर इनकी संख्या बढ़कर करीब 4 हजार हो चुकी है। क्योंकि गौरेया को यह निवास स्थान काफी पंसद आ रहा हैं। 

करनाल में यह सब पक्षी प्रेमी संस्था सत्या फाउंडेशन के सदस्यों के अथक प्रयासों की बदौलत संभव हुआ है। इतना ही नहीं यहां प्रशासनिक अधिकारी भी इन गौरैया के इस निवास को देखने आते हैं।
गौरैया अब घर आंगन में कम ही नजर आती हैं। इंसान के आधुनिकता और स्वार्थीपन ने इन परिंदों को बेघर सा कर दिया। 

जब मकान कच्चे होते थे तो गौरेया भी अपना घोंसला इन कच्चे मकानों में बना लेती थी। 

कच्चे मकानों की कोमल मिट्टी की तरह इंसान के मन भी इन परिंदों के प्रति प्यार से भरे होते थे, लेकिन मकान पक्के हुए तो इंसानों के मन भी कठोर हो गए। 

इन पक्के मकानों में अगर कोई गौरेया गलती से घोंसला बना भी लेती है तो उसे बाहर भगा देते हैं।

अब लोग भी चाहते हैं कि वे भी इस तरह से पक्षियों का आशियाना बनाए।

 इतना ही नही प्रशासनिक अधिकारी भी इस मोहल्ले में अकसर आते रहते हैं। 

गौरेया के लिए ये प्रयास सराहनीय है और मेनका गांधी भी इसकी सराहना कर चुकी है।

संस्था अब तक 1200 से अधिक मजबूत लक्कड़ के घोंसले बनावा कर अनेक जगह पर लगवा चुकी है। 

संस्था द्वारा विश्व गौरैया दिवस, राहगिरी, पार्कों, मंदिर, हाईवे आदि पर 1100 से अधिक घोंसले आमजन को फ्री वितरित किए। 

श्याम नगर में पांच वर्ष पहले ही कुछ घोंसलो के साथ शुरुआत की गई थी और उनमें रहने के लिए गौरैया आने लग गई थी।

गौरेया मिक्स दाने को बहुत पसंद करती है। जिसके लिए बर्ड फीडर बनाकर उनमें एक-एक महीने का मिक्स दाना रख दिया जाता है।