Haryana Assembly Election: हरियाणा में BJP-हलोपा मिलकर लड़ सकते हैं विधानसभा चुनाव, धर्मेंद्र प्रधान ने गोपाल कांडा से की मुलाकात

हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने क बार फिर भाजपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी है।
 

Haryana Assembly Election: हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने क बार फिर भाजपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी है। एक महीने के अंदर दूसरी बार हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा ने हरियाणा बीजेपी प्रभारी गोपाल कांडा से मिले।

गोपाल कांडा ने धमेंद्र प्रधान के घर 40 मिनट तक बैठक की है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन चला। बैठक में हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई। आगामी 2 से 3 दिनों में सीट शेयरिंग पर दोनों दलों के बीच सहमति बन सकती है।

गोपाल कांडा हरियाणा में 5 विधानसभा सीट पर अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारना चाहता है। भाजपा और हलोपा दोनों की पसंद से यह उम्मीदवार उतारे जाएंगे। 3 दिनों में यह साफ हो जाएगा कि हलोपा कितनी सीटों पर और भाजपा के सिंबल पर हलोपा की पसंद से कौन लड़ेगा। हलोपा-BJP की मुलाकात से सिरसा और फतेहाबाद के भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ी हुई है।


रानियां से रणजीत चौटाला की सीट खतरे में

बता दें कि हलोपा-भाजपा के बीच सीट बंटवारे का फार्मूला फिट बैठता है तो सबसे ज्यादा खतरा रणजीत चौटाला को है। रणजीत चौटाला रानियां विधानसभा से दावेदार हैं और विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वहीं गोपाल कांडा ने अपने भतीजे गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानियां से हलोपा प्रत्याशी घोषित किया है।

इससे रणजीत चौटाला की टेंशन बढ़ गई है। वहीं गोबिंद कांडा पहले से ही भाजपा का हिस्सा हैं। वे दो सीटों ऐलनाबाद और फतेहाबाद से दावेदारी कर रहे हैं। ऐलनाबाद में मीनू बेनीवाल और फतेहाबाद में विधायक दुड़ाराम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

वैश्य और पंजाबी वोट बैंक पर पकड़

गोपाल कांडा का राज्य में वैश्य और पंजाबियों के बीच अच्छा जनाधार है। हलोपा को लगता है कि हलोपा उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जिन पर भाजपा को चुनाव जीतना मुश्किल लगता है।

हालांकि, हाल ही में पंचकूला में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया था कि हरियाणा में भाजपा अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी के सिरसा दौरे के दौरान नायब सैनी ने बयान दिया था कि हलोपा और भाजपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे, जिसके बाद से ही दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की चर्चाएं सामने आ रही हैं।


गोपाल कांडा ने पिछली मुलाकात पर दी थी जानकारी
गोपाल कांडा ने धर्मेंद्र प्रधान से पिछली मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था, ' केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं हरियाणा में भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान जी से आज नई दिल्ली में मुलाकात हुई। हरियाणा विधानसभा चुनाव सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP), राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का घटक दल है।

लोकसभा चुनाव में भी HLP ने सहयोगी दल के रूप में समर्पित सहयोग किया है। आज की मुलाकात में विभिन्न विषयों और भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं पर सकारात्मक बातचीत हुई है।'

बिना शर्त सरकार को दिया है समर्थन
हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने पहले दिन से हरियाणा की भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया था। ऐलनाबाद उपचुनाव के दौरान गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा भाजपा में शामिल हो गए थे। तब गोबिंद कांडा को भाजपा, जजपा और हलोपा का संयुक्त उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन किसान आंदोलन के समर्थन में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला से चुनाव हार गए। हालांकि गोबिंद कांडा ने ऐलनाबाद चुनाव मजबूती से लड़ा और कुछ ही मतों से अंतर से हार गए थे।


2009 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते, फिर गृह राज्यमंत्री बने ​
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और हुड्‌डा सरकार में उद्योग मंत्री रहे लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराकर विधानसभा पहुंचे। विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की अगुआई में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया।

तब कांग्रेस ने 40 सीटें जीती और इनेलो 32 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। गोपाल कांडा ने उस समय के सियासी हालात का फायदा उठाते हुए निर्दलीय जीतने वाले पांच-छह विधायकों को रातों-रात साधते हुए उनका समर्थन हुड्‌डा को दिलवा दिया। लगातार दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने कांडा को बतौर इनाम अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए गृह राज्यमंत्री की कुर्सी दी।