हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला बोले- बीजेपी और कांग्रेस की आपस में फिक्सिंग है, इसलिए नहीं उतारा उम्मीदवार...

 

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और पूर्व मंत्री अनिल विज पर तंज कसा है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कांग्रेस-बीजेपी की आपस में फिक्सिंग है, इसलिए कांग्रेस ने राज्यसभा में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा।

उदयभान के जमानत जब्त पार्टी वाले बयान पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उदयभान अपनी खुद की सोचें और हिम्मत है, तो होडल विधानसभा से कांग्रेस से टिकट लेकर लड़कर दिखाएं।

हमारी ना सोचें कि किसका क्या होगा? आज कांग्रेस के मुंह से जेजेपी निकलना, बीजेपी के मुंह से जेजेपी निकलना, यह घबराहट दोनों पार्टियों में है, माहौल बनना शुरू हो चुका है।

 30 दिन बहुत है...

पिछली बार भी 15 दिन में माहौल बना था और हम 10 सीटें जीते थे। आज तो हम एडवांस हैं 30 दिन बचे हैं। 30 दिन में तो पता नहीं कितनी सीटें हम ले आएंगे।

बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि गठबंधन में दोनों पार्टियों ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएंगे। इस सवाल पर कहा कि आप बीरेन्द्र सिंह के मुंह पर माइक लगाकर यह पूछ लो की 4 साल और 6 महीने आपके गला फाड़ते हो गए कि दुष्यंत उचाना से नहीं लड़ेगा। अब वह लड़ रहा है तो आप क्यों घबरा रहे हो? गठबंधन रहेगा और मजबूत रहेगा और आगे भी चलेगा, उनको घबराने की जरूरत नहीं है।

जनता को जवाब देना है...

बीरेंद्र सिंह ये सोचें कि जनता को यह जवाब देना है कि उनके बेटे ने किसान आंदोलन में ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उनका बेटा ही था पार्लियामेंट में सदस्य, जिसने किसानों के लिए तीनों बिल पर वोट किए।

जनता ने तो अभी जवाब मांगना है। वो ये सोचकर लोकसभा का नहीं लड़ें कि जनता जवाब भी नहीं मांगेगी। जनता तो पूरा जवाब भी मांगेगी और जवाब भी देगी।

 
अनिल विज के बयान पर चौटाला का पलटवार

अनिल विज के कटी हुई पतंग के बयान पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अनिल विज तो अपनी कटी हुई टिकट ही बचा लें तो वो भी बहुत है। पतंग तो कटी हो तो डोर से डोर जुड़ जाती है फिर और ऊंचाई पर चली जाती है। टिकट कट जाती है, तो 5 साल इंतजार करना पड़ेगा।

दीपेंद्र हुड्डा के बयान पर चौटाला का पलटवार

दीपेंद्र हुड्डा के वोट काटु के बयान पर कहा कि कांग्रेस के मन में घबराहट सिर्फ जननायक जनता पार्टी की है। ये तो दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं। इस बार का राज्यसभा उदाहरण है और यह राज्यसभा नहीं है।

इन्होंने तो इसी तरीके से आज से पहले 12 राज्यसभा चुनाव थे। कांग्रेस एक ही जीत पाई जो दीपेंद्र लड़ा। बची हुई क्यों हारी? वह इसलिए हारी कि उनकी सेटिंग हमेशा से बीजेपी के साथ रही है।