हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस: उम्मीदवार के सिलेक्शन के लिए शुरु किया सर्वे, हाईकमान को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है। लोकसभा में अच्छा परिणाम मिलने के बाद कांग्रेस ने भी इंटरनल सर्वे शुरु कर दिया है। कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। कांग्रेस का यह सर्वे हर विधानसभा में होने वाला है।
 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है। लोकसभा में अच्छा परिणाम मिलने के बाद कांग्रेस ने भी इंटरनल सर्वे शुरु कर दिया है। कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। कांग्रेस का यह सर्वे हर विधानसभा में होने वाला है।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस उम्मीदवार फाइनल करने के लिए 3 सर्वे करवाएगी।  पहला सर्वे कांग्रेस की जिला स्तर की कमेटी करेगी। दूसरा सर्वे प्राइवेट एजेंसी से करवाया जाएगा। तीसरा और फाइनल सर्वे AICC की टीम करेगी।

सर्वे के दौरान कांग्रेस हरियाणा के जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखेगी। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने इसी तरह सर्वे कराया था। जिसकी वजह से 2019 में जीरो सीट के मुकाबले इस पर कांग्रेस 5 सीटें जीतने में कामयाब रहीं। कांग्रेस का मानना है कि इसी सर्वे की बदौलत उन्हें मजबूत उम्मीदवार मिले।

वहीं भाजपा ने भी लोकसभा की 10 में से 5 सीटें गंवाने और विधानसभा में सिर्फ 44 पर ही बढ़त मिल पाने को देखते हुए ग्राउंड वर्किंग शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 29 जून को कुरूक्षेत्र पहुंच रहे हैं। जहां वे भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी से मीटिंग करेंगे। भाजपा विधानसभा चुनाव में तीसरी बार सत्ता पाने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी।

 
2 सर्वे पूरे होने के बाद मांगे जाएंगे आवेदन
कांग्रेस की ओर से 2 सर्वे पूरे होने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों से आवदेन मांगे जाएंगे। आवेदन के आधार पर ही अंत में एक फाइनल सर्वे आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की ओर से किया जाएगा। इस सर्वे में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को ध्यान में रखा जाएगा। कांग्रेस इस बार भी भाजपा की लिस्ट आने के बाद ही जांच परख कर उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। हरियाणा में इस बार कांग्रेस को विश्वास है कि वह 70 से अधिक सीटें जीत सकती है।

लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव लड़ेगी
कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके संकेत कांग्रेस ने अभी से दे दिए हैं। लोकसभा की तरह की भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा व प्रदेश प्रभारी कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं। इसके समानांतर ही सर्वे शुरू हुआ है।

इसके अलावा स्टार प्रचारकों में भी प्रदेश के नेताओं को शामिल किया जाएगा। इस बार उन उम्मीदवारों का टिकट कटना तय है जिसकी रिपोर्ट लोकसभा चुनाव में नेगेटिव रही है। ऐसे नेताओं की अलग से सूची तैयार हो रही है। ऐसे में बड़े नेताओं को झटका लग सकता है।


प्रभारी के फीडबैक में करनाल-भिवानी की सबसे खराब रिपोर्ट
हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने मंगलवार को हरियाणा लोकसभा चुनावों को लेकर उम्मीदवारों से मंत्रणा की थी। बाबरिया ने बैठक न करके एक-एक कर उम्मीदवारों व जीतकर आए सांसदों से बातचीत की। प्रदेश प्रभारी को सबसे खराब रिपोर्ट भिवानी, करनाल की मिली है। यहां के उम्मीदवारों ने भीतरघात की रिपोर्ट दी।

वहीं हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी ने भी भीतरघात की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि हिसार के बड़े नेताओं ने साथ नहीं दिया। अगर वे साथ होते तो जीत का मार्जिन और बड़ा होता। इतना ही नहीं कुछ नेताओं के भाजपा प्रत्याशी की मदद करने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसी तरह गुरुग्राम में भी स्थानीय नेताओं के अहीरवाल क्षेत्र में साथ नहीं देने की बात सामने आई है।

हाईकमान को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी की ओर से बनाई गई रिपोर्ट कांग्रेस हाई कमान को सौंपी जाएगी। बाबरिया ने उम्मीदवारों से आगामी विधानसभा के संभावित नामों पर चर्चा भी की ओर उनकी तरफ से हर विधानसभा में कौन बेहतर उम्मीदवार हो सकता है, उनके नाम भी पूछे। वहीं चुनाव में बढ़चढ़ कर काम करने वाले नेताओं और काम न करने वाले नेताओं व भीतरघात करने वालों के नाम भी उम्मीदवारों ने बताए।


प्रभारी से मीटिंग में कांग्रेस की 5 सीटों पर हार की ये वजहें...

गुटबाजी भारी पड़ी

हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि 2 सीटों पर उन्हें गुटबाजी की वजह से नुकसान हुआ। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर MLA किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई।

किरण चौधरी ने तो हुड्‌डा कैंप पर उनकी सियासी हत्या की साजिश रचने जैसे आरोप तक लगा डाले। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह की हार का अंतर 41 हजार 510 वोट रहा। भिवानी जिले की 3 में से 2 सीटों पर भाजपा को लीड मिली। इनमें किरण चौधरी की तोशाम सीट शामिल रही। अगर पार्टी के नेता एकजुटता दिखाते तो यहां रिजल्ट कांग्रेस के पक्ष में भी आ सकता था।

गुरुग्राम सीट पर भी यही कहानी रही। यहां कांग्रेस कैंडिडेट राज बब्बर 75 हजार वोट से हारे। लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव इस सीट पर लंबे अर्से से एक्टिव थे लेकिन पार्टी ने ऐन मौके पर उनकी जगह राज बब्बर को टिकट थमा दिया। इससे कैप्टन नाराज हो गए।

राज बब्बर की इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान अजय यादव बहुत कम मौकों पर नजर आए। फरीदाबाद सीट पर भी टिकट न मिलने के कारण पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के समधी करण दलाल की नाराजगी देखने को मिली।

पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई
लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी का सक्रियता से प्रचार करते नजर नहीं आए। हालांकि चुनाव नतीजों में बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही जेपी को सबसे बड़ी लीड मिली।

जयप्रकाश जेपी के हुड्‌डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला की तिकड़ी ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे।