हरियाणा में BJP उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद मचा घमासान, सीएम और भाजपा अध्यक्ष आमने-सामने

 
 

 

हरियाणा में भाजपा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने पर विवाद खड़ा हो गया है।  शुक्रवार को करनाल में रोड शो के दौरान सीएम नायब सैनी बोले की मैं करनाल से भी चुनाव लड़ूगा। जबकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा था कि सीएम सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे।

नायब सैनी ने कहा, ' मोहन लाल बड़ौली प्रदेश अध्यक्ष हैं, उसको मेरे से ज्यादा जानकारी है। पार्लियामेंट बोर्ड के सामने जिन दावेदारों ने अप्लाई किया था, उसे लिस्टिंग करके केंद्रीय नेतृत्व के सामने रख दिया है। अगला निर्णय पार्लियामेंट्री बोर्ड का है। करनाल से मैं ही चुनाव लड़ूंगा।


सैनी के करनाल सीट छोड़ने के 3 बड़े कारण

1. पंजाबी वोट बैंक की नाराजगी

करनाल सीट पर पंजाबी समुदाय के सबसे ज्यादा 64 हजार वोट हैं। सैनी समुदाय के यहां सिर्फ 5800 वोट हैं। इसके अलावा अगर कुल OBC वोटरों की बात करें तो करीब 35 हजार वोट है।

चूंकि पिछली बार करनाल से मनोहर लाल खट्‌टर लड़े, वह पंजाबी समुदाय से थे। इसलिए उन्हें पंजाबी वोटरों का समर्थन मिला। सैनी OBC वर्ग से आते हैं। उनके समुदाय और OBC वर्ग की भी बहुत कम वोट हैं। ऐसे में उनको इसका नुकसान हो सकता है।

वहीं अब पंजाबी वर्ग भी मुखर रूप से लगातार प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है। इसे भांपते हुए कुछ दिन पहले कांग्रेस भी करनाल में पंजाबी महासम्मेलन कर चुकी है। हुड्‌डा ने यहां तक वादा किया कि कांग्रेस सरकार बनी तो वह पंजाबी विस्थापित कल्याण बोर्ड बनाएंगे। इससे भी भाजपा को पंजाबी वोट खिसकने का डर है।

2. एंटी इनकंबेंसी का खतरा

करनाल 10 साल से सीएम सिटी है। सीएम का गृह क्षेत्र होने से भाजपा को फायदे की उम्मीद जरूर हो, लेकिन इसको लेकर यहां एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी ज्यादा है। सीएम सिटी की वजह से धरने-प्रदर्शन के अलावा लोगों की आम विधायक के तौर पर सीएम के साथ सीधी कनेक्टिविटी नहीं हो पाती।

चूंकि खट्‌टर ने पहले ही सबको साध लिया था लेकिन सैनी के लिए अंत के कुछ महीनों में यह संभव नहीं हो रहा। इसकी वजह 3 महीने पहले लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव की वजह से पर्याप्त समय न मिल पाना है।

3. भीतरघात का खतरा, लोकल दावेदारों की बगावत

करनाल सीट पर सैनी को भीतरघात का भी खतरा बना हुआ है। सीएम के करीबी सूत्र बताते हैं कि यहां मनोहर लाल खट्‌टर के करीबी रही उनकी टीम अभी सीएम सैनी के साथ खुले दिल से नहीं चल रही। इतना अवश्य है कि खट्टर उन्हें मना लेंगे लेकिन चुनाव में वह कितने मन से मदद करेंगे, इसको लेकर सैनी के लिए रिस्क रहेगा।

वहीं खट्‌टर के जाने के बाद लोकल नेताओं को उम्मीद थी कि अब उन्हें मौका मिलेगा लेकिन इस चुनाव में सैनी यहां से जीत गए तो फिर अगले 5 साल के लिए उनका रास्ता बंद हो जाएगा। ऐसे में उनके बगावत करने का खतरा बना रहेगा।

लाडवा से सीएम की चर्चा क्यों, सैनी बिरदारी, OBC वर्ग और लोकसभा का कनेक्शन
लाडवा विधानसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र में है।

इस विधानसभा में 1 लाख 95 हजार से ज्यादा वोट है। जिसमें 50 हजार वोट जाट समाज की है। इसके अलावा सैनी समाज के 47 हजार से ज्यादा वोट हैं। 90 हजार से ज्यादा OBC वर्ग के वोट हैं।

OBC वर्ग और खास तौर पर सैनी समुदाय के वोट बैंक की वजह से यह सीएम के लिए फेवरेट सीट मानी जा रही है। हालांकि पिछली बार 2019 में भाजपा के सैनी समुदाय से जुड़े पवन सैनी यहां से कांग्रेस के मेवा सिंह से 12,637 वोटों से चुनाव हार गए थे। नायब सैनी कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं, जिसमें लाडवा भी आता है।