Summer Vacation : सरकारी स्कूलों में सिर्फ 15 दिनों की गर्मी की छुट्टी, प्राइवेट स्कूलों पर ये हुआ फैसला

 

Delhi Schools Summer Vacation: गर्मी की छुट्टियों का इंतजार यूं तो शिक्षकों से लेकर छात्रों तक सबको होता है, लेकिन इस साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छुट्टियां लगभग दो महीने की जगह बस 15 दिनों की होंगी. इसकी वजह है 'मिशन बुनियाद'. दरअसल, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां आम तौर पर 10 मई को हो जाती हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. कक्षा 3 से लेकर कक्षा 12 तक के लिए अब गर्मी की छुट्टियां सिर्फ 15 दिनों की होंगी. स्‍कूल केवल 15 जून से लेकर 30 जून तक बंद रहेंगे. 


दरअसल, पिछले दो सालों में कोरोना लॉकडाउन के चलते पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ, जिसकी वजह से सरकार मानती है कि छात्रों में लर्निंग गैप हो गया है, यानि वो जिस क्लास में हैं उससे उनकी क्षमता कम है. इसी अंतर को कम करने के लिए लगभग 35 दिनों की अतिरिक्त क्लास सरकारी स्कूलों में लगाई जा रही है. हालांकि, प्राइवेट स्‍कूल छुट्टियों को लेकर खुद अपना फैसला लेंगे.

नर्सरी से लेकर दूसरी क्लास तक के छात्रों को ही पूरी गर्मी छुट्टी मिल पाएगी. तीसरी से लेकर नौंवी तक के छात्रों के लिए क्लास उन्हें आगे के लिए तैयार करने के लिए लगाई जाएंगी. वहीं कक्षा 10वीं से लेकर 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनज़र पहले भी तैयारी के लिए क्लासेज़ गर्मी की छुट्टियों में होती रही हैं जो इस बार भी होंगी. 


 
दिल्ली में इस साल गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है. ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की चिंता उनके स्वास्थ्य को लेकर भी है. चूंकि मिशन बुनियाद के तहत कक्षाएं शुरु भी हो गई हैं, तो छात्रों का इसे लेकर मिला-जुला रुख देखने को मिल रहा है. सरकारी स्कूलों के प्रबंधन से जुड़े हुए सूत्र बताते हैं कि गर्मी की वजह से लगभग आधे छात्र ही स्कूल आ रहे हैं. वो ये बी बताते हैं कि छात्रों पर इस दौरान स्कूल आने के लिए दबाव नहीं दिया जा रहा है, कोशिश यही की जा रही है कि वो स्वेच्छा से इसका हिस्सा बनें.

आजतक से खास बातचीत में दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले महीने ही बता दिया था कि सरकार इस बार गर्मी छुट्टियों में भी पढ़ाई जारी रखेगी. उन्होंने आजतक के माध्यम से अभिभावकों से अपील भी की थी कि वो कहीं बाहर जाने का लंबा प्लान तैयार न करें ताकि उनके बच्चों के लर्निंग गैप को कम करने पर काम किया जा सके.