किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है खेती की यह विधि, सरकार भी देती है सब्सिडी, जानें

Chaupal TV, Chandigarh हरियाणा के किसानों के लिए लंबवत खेती (वर्टिकल फार्मिंग) लाभकारी सौदा साबित हो सकती है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सब्जियों की काश्त में तो लंबवत खेती बेहद लाभकारी है। उन्होंने बताया कि इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों के...
 

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हरियाणा के किसानों के लिए लंबवत खेती (वर्टिकल फार्मिंग) लाभकारी सौदा साबित हो सकती है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सब्जियों की काश्त में तो लंबवत खेती बेहद लाभकारी है। उन्होंने बताया कि इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों के लिए सरकार द्वारा विशेष योजना के तहत अनुदान देने का भी प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस खेती से जहां किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, वही पानी की भी बचत की जा सकती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि आगामी खरीफ सीजन में धान की बजाए लंबवत खेती करके प्रकृति के अनमोल रत्न पानी को बचाने में अपना योगदान दें।

लंबवत खेती के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि यह खेती बांस-तार के साथ अधिकतर बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। यह बेहद फायदेमंद तकनीक है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी, तोरी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है।

उन्होंने कहा कि बेल वाली सब्जी आमतौर पर खेत में सीधी लगाते हैं, जिससे एक समय के बाद इनका उत्पादन कम हो जाता है। इसके साथ-साथ कई प्रकार की बीमारी एवं कीट आदि भी लग जाते हैं। परिणाम स्वरूप उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है।

उन्होंने बताया कि उक्त विधि में किसान को एक एकड़ में 60 एमएम आकार के 560 बॉस 4 गुणा 2 मीटर क्षेत्र में लगाने होते हैं, जिसमें बांस की ऊंचाई लगभग 8 फीट होनी चाहिए। सभी बांसों को 3 एमएम के तीन तारों की लेयर से बांधना होता है। इसके साथ-साथ जूट अथवा प्लास्टिक की सुतली फसल की स्पोर्ट के लिए लगाई जाती है। इस विधि पर किसान का लगभग 60 हजार रुपए का खर्च आता है, जिस पर 31 हजार 200 रुपए प्रति एकड़ किसान को अनुदान प्रदान किया जाता है।

उन्होंने आगे जानकारी कि बांस-तार के अतिरिक्त आयरन स्टाकिंग विधि जिसमें बांस-तार की जगह लोहे की एंगल लगाकर ढांचा बनाया जाता है और इस पर बेल वाली सब्जियां लगाई जाती हैं । उन्होंने कहा कि इस विधि के अपनाने पर प्रति एकड़ लगभग 1 लाख 42 हजार रुपए खर्च आता है, जिस पर बागवानी विभाग 70 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को देता है।

 

उन्होंने बताया कि अकेले जिला रोहतक में बेल वाली सब्जियों की काश्त बांस-तार विधि पर काफी प्रचलित हो चुकी है। इस जिले में लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में इस विधि पर किसान बेल वाली सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं।