Wheat Variety: किसानों को मालामाल कर देगी गेहूं की 5 उन्नत किस्में, कम समय में होगी बंपर पैदावार

देशभर में खरीफ फसलों की कटाई का सीजन चल रहा है।  खरीफ फसलों की कटाई होते ही रबी फसलों की बुआई शुरु होने वाली है।
 

Wheat Variety: देशभर में खरीफ फसलों की कटाई का सीजन चल रहा है।  खरीफ फसलों की कटाई होते ही रबी फसलों की बुआई शुरु होने वाली है। रबी सीजन में अधिकतर किसान गेहूं की खेती पर जोर देते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो इस बार अच्छी बारिश की चलते गेहूं का रकबा बढ़ने की संभावना है।

जानकारी के लिए बता दें तो रबी फसलों की बिजाई अक्टूबर-नवंबर में शुरू होती है यानी गेहूं की बुवाई भी इन्ही महीनों में शुरू होगी। लेकिन गेहूं की बिजाई के लिए उच्च और बढ़िया क्वीलिटी का बीज चुनना जरूरी है। यहां हम आपके लिए गेहूं की 5 बढ़िया और उच्च किस्में बताएंगे जिनसे प्रति हेक्टेयर 90 से 97 क्विंटल तक गेहूं उत्पादन लिया जा सकता है। तो आइये जानते है गेहूं के लिए बढ़िया और उन्नत किस्म के बीज…

करण वंदना (DBW 187)

उपयुक्त क्षेत्र: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल
खासियत: बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध क्षमता
परिपक्वता: 120 दिनों में तैयार होती है
उपज: 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर


विशेषता: यह किस्म रोग प्रतिरोधी होने के कारण अच्छी पैदावार देती है और किसानों के लिए बेहतर विकल्प है।
यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल में अच्छी साबित हुई है। करण वंदना में बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध है और यह 120 दिनों में परिपक्व होती है। इसकी औसत उपज 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

डीबीडब्ल्यू-222

परिपक्वता: 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है
उपज: 65.1 से 82.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
सिंचाई आवश्यकता: केवल 4 सिंचाई से 20% तक पानी की बचत होती है।
खासियत: यह कम सिंचाई के साथ अधिक पैदावार देने वाली एक बेहतरीन किस्म है।
यह किस्म लगभग 143 दिनों में पक्कर तैयार होती है और 65.1 से 82.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज दे सकती है। इसे केवल 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे पानी की 20% बचत होती है।

करण वैष्णवी (DBW 303)

उपयुक्त क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड
खासियत: प्रोटीन, जिंक, और आयरन से भरपूर
परिपक्वता: 145 दिनों में तैयार होती है
उपज: 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर


विशेषता: यह किस्म पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा के साथ अधिक पैदावार देती है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड में उपयुक्त, इस किस्म में प्रोटीन, जिंक, और आयरन का समृद्ध स्तर होता है। इसकी उपज 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और यह 145 दिनों में तैयार होती है।

करण ऐश्वर्या (DBW 296)

विकासकर्ता: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान
खासियत: सूखे के प्रति सहनशील
उपज: 83.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर


उपयुक्त क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से
खासियत: सूखे की स्थिति में भी बेहतर पैदावार देने वाली यह किस्म किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है। यह सूखे के प्रति सहनशील है और 83.3 क्विंटल की उपज देती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जा सकती है।

करण बोल्ड (DBW 377)

जारी वर्ष: 2024 में
उपज: 63.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
उपयुक्त क्षेत्र: छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा रही है


बुवाई समय: 1-10 नवंबर के बीच बोया जा सकता है
2024 में जारी की गई, यह किस्म छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा रही है। इसकी औसत उपज 63.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसे 1-10 नवंबर के बीच बोया जा सकता है।

इन उन्नत किस्मों की मदद से किसान न केवल अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपनी कृषि में अधिक कुशलता भी ला सकते हैं।