कुसुम योजना: बचेगा डीजल का खर्च और नहीं लगेगा बिजली का बिल, सिंचाई के लिए लें आएं सोलर, जाने योजना के बारे में

 
कुसुम योजना: बचेगा डीजल का खर्च और नहीं लगेगा बिजली का बिल, सिंचाई के लिए लें आएं सोलर, जाने योजना के बारे में
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नई दिल्ली।किसानों को अक्सर खेतों में सिंचाई के दौरान काफी मुश्किलें झेलनी पड़ती है. डीजल की आसमान छूती कीमतें व कभी कम बारिश होने की वजह से किसान अपनी फसलों में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई नहीं कर पाता.

किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने’ कुसुम योजना’ लांच की हैं, जिसके अंतर्गत किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर फसलों की सिंचाई कर सकेंगे. ‘प्रधानमंत्री कुसुम योजना’ के अन्तर्गत केंद्र सरकार किसानों के डीजल पंप को सोलर पंप में बदलने और नए सोलर पंप लगाने का काम कर रही है.

अब सरकार कृषि फीडर का सौरकरण करने की दिशा में तेजी से क़दम बढ़ा रही हैं. इससे बिजली की खपत तो कम होगी हीं , साथ के साथ किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध रहेगी.

कर सकते हैं कमाई
इस योजना के अंतर्गत किसान साथी अपनी जमीन पर सोलर पैनल लगाकर इससे उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग खेती में कर सकता है, साथ ही किसान की जमीन पर उत्पन होने वाली बिजली से देश के सभी गांवों में भी बिजली की 24 घंटे सप्लाई संभव हो सकती है.

ऐसे में यह कहना उचित होगा कि केन्द्र सरकार की कुसुम योजना किसानों के लिए किसी भी मायने में घाटे का सौदा नहीं है. इस योजना के तहत किसान न केवल अपने खेतों में सोलर उपकरण लगाकर सिंचाई कर सकेंगे, अपितु अतिरिक्त बिजली पैदा कर ग्रिड को भेजकर कमाई भी कर सकते हैं.

कृषि फीडर के सौरकरण पर जोर
कृषि फीडर के सौरकरण के फायदों को लेकर नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमितेश कुमार सिन्हा ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना से निश्चित तौर पर किसानों को तो लाभ पहुंचेगा ही , साथ ही राज्य सरकारों का सब्सिडी का पैसा भी बचेगा.

कुसुम योजना: बचेगा डीजल का खर्च और नहीं लगेगा बिजली का बिल, सिंचाई के लिए लें आएं सोलर, जाने योजना के बारे में

कुसुम योजना के तीन महत्वपूर्ण अंग
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि कुसुम योजना के तीन पार्ट है , कम्पोनेन्ट- ए,बी और सी. कम्पोनेन्ट ए में किसानों को अपनी जमीन पर सोलर प्लांट लगाना होता है तो वहीं कम्पोनेन्ट बी और सी में किसानों के घरों व उनके खेतों में पंप लगाएं जाएंगे. उन्होंने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा को खेतों के लिए उपयोग में लाना. ऐसे में सरकार की मंशा यही है कि क्यों न कल्चरल फीड को ही सौलराइज कर दिया जाएं.

पर्याप्त मात्रा में होगी डीजल की बचत
यदि डीजल पंप को सोलर पंप में बदला जाएगा तो डीजल की भारी खपत से छुटकारा मिलेगा. यदि बिजली से चलने वाले पंप को सोलर सिस्टम से चलाया जाएगा तो बिजली चार्ज से मुक्ति मिलेगी.

सरकार और बैंक उठाएंगे 90 फीसदी खर्च
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको महज 10 फीसदी रकम का भुगतान करना होगा. बाकी 90% खर्चा सरकार एवं बैंक मिलकर उठाएंगे. इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सोलर पैनल उपलब्ध करवाएं जाएंगे. राज्य सरकार सोलर पैनल पर 60% सब्सिडी लाभार्थियों के खाते में सीधे ट्रांसफर करेंगी, वहीं 30% सब्सिडी बैंक की तरफ से मुहैया कराई जाएगी.