बागों से बाग-बाग होने लगा हरियाणा

 
बागों से बाग-बाग होने लगा हरियाणा
WhatsApp Group Join Now

हरियाणा में बागवानी और सब्जियों का रकबा 2025 तक सरकार की ओर से दो से तीन गुणा तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कड़ी में 21 फसलों पर सरकार संरक्षित मूल्य दे रही है। अब किसान उत्पादक समूहों के जरिए बागवानी और सब्जियों के श्रृंखला मूल्य का भी अध्ययन पूरा कर रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। सरकार की ओर से पिछले 6 वर्षों में इस दिशा में उठाए गए प्रभावी कदमों का ही परिणाम रहा है कि फलों का रकबा 17 हजार हैक्टेयर जबकि सब्जियों का रकबा 3 हजार हैक्टेयर तक बढ़ गया है।

2013-14 में 50 हजार हैक्टेयर पर फलों की खेती हो रही थी अब यह रकबा 67 हजार हैक्टेयर हो गया है। इसी तरह से 2013-14 में सब्जियों का रकबा 3.73 लाख हैक्टेयर तक था जो अब साढ़े 4 लाख हैक्टेयर हो गया है।

गौरतलब है कि हरियाणा में करीब 37 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है और करीब 17 लाख 64 हजार किसान परिवार हैं। राज्य में किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक रही हैं। किसानों की फसलों का पैसा सीधा उनके बैंक खातों में डाला जा रहा है।

यही नहीं अब हरियाणा के किसान खेती के साथ मछली पालन, पशुपालन, मशरुम, फलों की खेती के जरिए अब नए आयाम रच रहे हैं। सरकार की ओर से बागवानी के क्षेत्र में किए गए सुधारों और अनुदान योजना व भावांतर भरपाई योजना से आज किसानों का जीवन स्तर बदल रहा है।

भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, किन्नू, अमरुद, गाजर, मटर, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, हरी मिर्च, लौकी, करेला, बंदगोभी, मूली, लहसून, हल्दी व आम को शामिल किया है। इस योजना के अंतर्गत 4187 किसानों को करीब 10 करोड़ 12 लाख रुपए की राशि दी जा चुकी है।

प्रदेश में 1 हजार किसान उत्पादक समूह बनाने की प्रक्रिया जारी है। 486 किसान उत्पादक समूह बनाए जा चुके हैं। इन समूहों की ओर से 150 इंटीग्रेटेड पैक हाऊस बनाए जाएंगे। गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 7 हजार करोड़ रुपए की लागत से एक उद्यान मार्कीट स्थापित की गई है। बागवानी तकनीकों के प्रदर्शन के लिए इस वित्तीय वर्ष में 2 नए उत्कृष्टताा केंद्र बनाए जाने हैं, जबकि 8 पहले बनाए जा चुके हैं।

इजरायल से लौटने के बाद लिया था संकल्प

हरियाणा में सब्जियों और बागवानी को नई तकनीक से जोडऩे और सूक्ष्म ङ्क्षसचाई प्रणाली के जरिए इसे और अधिक सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 2018 में इजरायल में गए थे। इजरायल और हरियाणा का खेती का पैटर्न और मौसम व जमीन की तासीर मिलती-जुलती है।

इजरायल से लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने हरियाणा में बागवानी की दिशा में और अधिक असरकारक कदम उठाने का संकल्प लिया। इजराइल के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए योजना तैयार की गई। इजराइल के सहयोग से 30 सेंटर ऑफ एक्सीलेंसी चल रहे है, इनमें से पांच सेंटर हरियाणा में हैं। इजराइल के सहयोग से घरौंडा में भी सेंटर चल रहा है, जो सफल साबित हुआ है।

बागवानी के क्षेत्र में सरकार की ओर से उठाए गए प्रभावी कदमों का ही नतीजा है कि हरियाणा में पिछले 6 साल में सब्जियों का रकबा 77 हजार हैक्टेयर बढ़ा है। 2013-14 में सब्जियों का रकबा करीब 3.73 लाख हैक्टेयर था जो 2020-21 में साढ़े 5 लाख हैक्टेयर हो गया है। इसी तरह से फलों के क्षेत्र में भी इजाफा हुआ। 2018 में इजरायल संकल्प लेकर आए थे।

बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं कदम

हरियाणा में इस समय 70 हजार हैक्टेयर में बागवानी जबकि साढ़े 4 लाख हैक्टेयर में सब्जियों की खेती की जा रही है। हर साल हरियाणा में करीब 12 लाख मीट्रिक टन फलों का जबकि 78 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है।

हरियाणा में करीब 21 हजार हैक्टेयर किन्नू, 10 हजार हैक्टेयर में आम, 13 हजार हैक्टेयर में अमरुद, 4 हजार हैक्टेयर में बेर, 2200 हैक्टेयर में आंवला, 1800 हैक्टेयर में चिकू के आवा 119 हैक्टेयर में लीची क खेती की जा रही है।

इसी प्रकार से करीब 34 हजार हैक्टेयर में आलू, 33 हजार हैक्टेयर में प्याज, 30 हजार हैक्टेयर में टमाटर, 7 हजार हैक्टेयर में गाजर, 22 हजर हैक्टेयर में गोभी, 16 हजार हैक्टेयर में मिर्च, 37 हजार हैक्टेयर में भिंडी के अलावा बड़े पैमाने पर बैंगन, मूली, लॉकी, तोरी, करेला की काश्त की जाती है।