Buffalo Breed: कुछ ही दिनों में आपको मालामाल कर देगी इस नस्ल की भैंस, 500 से 700 लीटर तक देती है दूध

भारत भैंसों की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश माना जाता है। सेंट्रल बफेलो रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबकि भारत में 26 प्रकार की भैंसों की नस्लें पाई जाती है।
 
 कुछ ही दिनों में आपको मालामाल कर देगी इस नस्ल की भैंस, 500 से 700 लीटर तक देती है दूध
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Buffalo Breed: भारत भैंसों की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश माना जाता है। सेंट्रल बफेलो रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबकि भारत में 26 प्रकार की भैंसों की नस्लें पाई जाती है। इमें मुर्रा, जाफरबादी, नागुपी और मेसाणा समते कई भैंस की नस्लें है जो सबसे ज्यादा दूध देती है। भारत में कई नस्लों की भैंस का पालन किया जाता है। आज हम आपको ऐसी नस्ल की भैंस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है।


 

टोडा नस्ल की भैंस का करें पालन
भारत में भैंस पालन के माध्यम से डेयरी फार्मिंग विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत प्रसिद्ध है. अगर पशुपालक कम समय में अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो टोडा नस्ल की भैंस के जरिए दूध उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आपको बता दें कि टोडा नस्ल की भैंस तमिलनाडु की नीलगिरि पहाड़ियों से संबंध रखती है, जो दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत में भी काफी लोकप्रिय हो रही है.

500 से 700 लीटर दूध देती है ये नस्ल
दिखने में टोडा भैंस का रंग हल्का भूरा या गहरा भूरा होता है. इसकी असली पहचान इसके छोटे शरीर और चौड़े मुंह से होती है. इस प्रजाति के भैंसों का माथा चौड़ा, सींग लंबे और पूंछ छोटी होती है. टोडा भैंस के पैर बहुत मजबूत होते हैं. इस नस्ल की भैंस एक ब्यांत में लगभग 500 से 700 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है.

भोजन की खुराक का ध्यान रखें
इस नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार ही भोजन दें. फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें. ताकि कोई अव्यवस्था या बदहजमी न हो. 

भैंसों को खाने में दें ये चीजें
दाने - मक्की/गेहूं/जौं/जई/बाजरा
तेल बीजों की खल - मूंगफली/तिल/सोयाबीन/अलसी/बड़ेवें/सरसों/सूरजमुखी
बाइ प्रोडक्ट - गेहूं का चोकर/चावलों की पॉलिश/बिना तेल के चावलों की पॉलिश

पशुओं के लिए बनाएं शेड
अच्छे उत्पादन के लिए इस नस्ल को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है. पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और बीमारियों से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. सुनिश्चित करें कि चुने गए शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए. भोजन के लिए जगह पशुओं की संख्या के अनुसार बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन कर सकें.

गर्भवती पशुओं की देखभाल
अच्छे प्रबंधन से बेहतर उत्पादन और अधिक दूध की पैदावार होगी. गर्भवती भैंस को 1 किलो चारा अधिक दें, क्योंकि उनका शारीरिक विकास भी होता है.

समय पर टीकाकरण जरूरी
जन्म के 7-10 दिन बाद बच्चों के सींगों को इलैक्ट्रीकल ढंग से दाग देना चाहिए. 30 दिनों के नियमित अंतराल पर कृमिनाशक दवा देनी चाहिए. 2-3 सप्ताह के बच्चे को वायरल श्वसन टीका दें. 1-3 महीने के बच्चों को क्लोस्ट्रीडियल टीकाकरण दें.