9 May 2022 Letest Mandi Bhav: सरसों के भाव टूटे जरूर लेकिन किसान घबराएं नहीं भाव जरूर बढ़ेंगे देखें सरसों की ताजा रिपोर्ट

 
9 May 2022 Letest Mandi Bhav: सरसों के भाव टूटे जरूर लेकिन किसान घबराएं नहीं भाव जरूर बढ़ेंगे देखें सरसों की ताजा रिपोर्ट
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किसान साथियो यह साल अन्य सालों से अलग है इस बार भारतीय किसान ने सरसों को स्टॉक कर लिया है। अब अब चौतरफा ऐसी खबरें फैलाई जा रही है कि तेल तिलहन में गिरावट आने वाली है। जिनमें कुछ खबरें महज अटकलें है और कुछ बिल्कुल निराधार हैं। mandibhavtoday.net पर हम आपको सही समय पर सही जानकारी देते रहते हैं।

ताजा मार्केट अपडेट
इंडोनेशिया में खाद्य तेल (edible Oil Price) के निर्यात पर पाबंदी हटने की अटकलें तेज होने और घरेलु बाजार में मांग(Oil demand) कमजोर होने से तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को भाव में कुछ गिरावट देखने को मिली। हालांकि शाम तक थोड़ी रिकवरी देखने को जरूर मिली लेकिन ओवर ऑल रूझान नर्म ही रहा। जयपुर में कंडीशन की सरसों के दाम 75 रुपये कमजोर होकर 7,375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि शनिवार को देर शाम सलोनी प्लांट ने 50 रुपए बढ़ाकर 7850 रुपए से लेकर 7900 रुपए तक के भाव दिखाए। दैनिक आवक कम होकर पांच लाख बोरियों की ही हुई ।



शिकॉगो एक्सचेंज (Chicago) में शुक्रवार को शुरुआत में लगभग 2.5 प्रतिशत की गिरावट थी लेकिन बाद में यह सुधरता नजर आया और अंत में लगभग आधा प्रतिशत की गिरावट पर बंद हुआ। इस सुधार के रुख की वजह से सोयाबीन तथा पामोलीन तेल कीमतों में सुधार भी देखने को मिला। पर्याप्त मांग होने से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार हुआ। ऊंचे भाव पर कम कारोबार होने के बावजूद भी सोयाबीन इंदौर तेल, सीपीओ और सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव पूर्व-स्तर पर बने रहे।


रुपये में लगातार गिरावट सरसों को फायदा
रुपये में गिरावट आने से आयात महंगा हो गया है यह एक बड़ा कारण है कि खाद्य तेल की कीमतों में मजबूती बनी हुई है। रुपये की वैल्यू पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले 75.92 रुपये प्रति डॉलर से गिर कर 76.96 रुपये प्रति ड़ॉलर हो गयी है। जब रुपया सस्ता होता है तो आयात के लिए ज्यादा रुपये देने पड़ते हैं जबकि घरेलु माल सस्ता पड़ता है। सारे माहौल को देखें तो ऐसा नहीं लगता कि तेल तिलहन की यह गिरावट लंबी चल सकती है।

सरसों रिपोर्ट | सरसों तेल पर निर्भरता
स्टॉक लिमिट का प्रतिबंध नहीं होने के कारण पिछले साल व्यापारियों ने सरसों का लगभग 30 लाख टन का स्टॉक रखा था जिससे अक्टूबर-नवंबर में सरसों की जरुरतें पूरा करने में मदद मिली थी लेकिन इस बार स्टॉक लिमिट लगायी हुई और व्यापरियों के पास बड़ा स्टॉक नहीं है।



इस साल अधिक पैदावार होने के और सबसे सस्ता होने के कारण सरसों के तेल से बाकी खाद्य तेलों की कमी को पूरा किया जा रहा है और भारी मात्रा में सरसों के रिफाइंड बनाये जा रहे हैं। हालांकि सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग भी की जा रही है। अतः हम यह कह सकते हैं कि सरसों की डिमांड बनी रहेगी।

विश्व स्तर पर खाद्य तेलों का संकट और सरसों रिपोर्ट
भारत ही नहीं चाहे एशिया हो या यूरोप हर जगह खाद्य तेलों की कमी बनी हुई है और भाव तेज बने हुए है। यही कारण है कि कुछ देशों खासकर ब्रिटेन में सुपरमार्केट्स ने खाने के तेल की बिक्री सीमित कर दी है। फूड, ड्रिंक फेडरेशन की मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी केट हलीवैल कहती हैं, कोविड-19 से सप्लाई चेन पहले ही गड़बड़ा गई थी। यूक्रेन में युद्ध से सनफ्लॉवर तेल सहित कई

अनाजों और खाद्य सामग्री की कमी आई है। इससे कीमतें बढ़ी हैं।
ब्रिटिश रिटेल कंसोर्टियम के प्रवक्ता टॉम होल्डर का कहना है, युद्ध से आपूर्ति में बाधा पड़ने के बाद रिटेलर्स ने ग्राहकों को सप्लाई कम कर दी है। स्पेन, ग्रीस, तुर्की, बेल्जियम सहित कई अन्य देशों में सुपरमार्केट्स चेन ने खाने के तेल की बिक्री पर लिमिट लगा दी है।

अनुमान से कम उत्पादन |सरसों रिपोर्ट

किसान साथियो इस सरसों की खेती का रकबा जरूर बढ़ा है लेकिन उत्पादन अनुमान से कम होने की आशंका है। अब तक की आवकों को देख कर यह कहा जा सकता है। यदि पिछले कुछ सालों के आंकड़ों को देखा जाए तो मई के पहले हफ्ते में लगभग 9 से 10 लाख बोरी की आवक आम होती है। लेकिन इस साल यह 5 लाख से 6 लाख बोरी के उपर नहीं जा रही। मतलब साफ़ है किसान घटे हुए दाम पर अपनी सरसों नहीं बेच रहे है। उन्हें अच्छे भाव की पूरी उम्मींद है। कम आवक के होने से उत्पादन कम होने की आशंका भी जोर पकड़ रही है।

रोके या बेचे | सरसों रिपोर्ट
किसान साथियों ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब बड़े बड़े मीडिया हाउस यह कह रहे थे की धान का भाव ₹4000 नहीं हो सकता लेकिन उस समय भी मंडी भाव टुडे ने बताया था की धान का उत्पादन कम है और इसके भाव बढ़ने वाले हैं यही हालत अब सरसों को लेकर पैदा हो गई है हमारा अभी भी यही मानना है कि जिस प्रकार से विश्व भर में खाद्य तेलों का संकट छाया हुआ है सरसों के भाव में बड़ी गिरावट नहीं आ सकती। लंबी अवधि तक स्टॉक करने पर आपको अच्छा फायदा मिल सकता है